Wednesday, 4 July 2012

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एजूकेशन बोर्ड में किसी काम से जाना पड़ा। मुझे अपना काम निपटाते हुए मोहाली में ही शाम के पाँच बज गए। मैं बस स्टैंड पहुँचा तो कुछ राहत मिली कि रात्रि सेवा के तहत रात की सर्विस थी। मैंने विडियो कोच का टिकट लिया और बस में बैठ गया।
वहाँ से बस फुल होकर चली। मैंने टू-सीटर सीट ली, मेरे साथ एक अच्छा खासा मर्द बैठा। मेरी नज़र बार बार उस पर जा रही थी, उसके लौड़े वाले स्थान पर !
मुझे वो मर्द बहुत पसंद आया। उसने भी नोट किया कि मेरी निगाहें उसके फूले हुए हिस्से पर जा रुकती हैं।
मुझे लगा कि वक्त अ गया है अपना जाल बिछाने का !
मैंने कहा- आप कहाँ जा रहे हो? क्या करते हैं?
ऐसे ही उसने भी मुझसे कुछ सवाल पूछे। मेरे बोलने का स्टाइल और चेहरा वो पढ़ रहा था।
थोड़ा अँधेरा सा हो रहा था। जैसे ही बस नवां शहर पहुँची तो काफी बस खाली हो गई और इस बस में रास्ते की सवारी नहीं लेते थे। मैंने देखा कि अब सामने वाली सीट खाली है, किसी की नज़र अब मेरे ऊपर नहीं पड़ने वाली।
तब बाहर पूरा अँधेरा छा गया था।
मैंने उसके साथ फिर से बातें करनी शुरु की। इस बार मैंने टोपिक और ही चुना- आप बहुतहैण्डसम हो ! आपकी बीवी भाग्यशाली होगी।
वो बोला- अच्छा !
मैंने कहा- बिल्कुल !
मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रखते हुए कहा- और नहीं तो क्या ! इतनी जबरदस्त बॉडी है, मजबूत जांघें हैं ! और क्या चाहिए किसी को !
वो कुछ नहीं बोला।
मैंने अपना हाथ उसके फूले हुए स्थान पर रखते हुए कहा- आपका तो यह भी बहुत कड़क लगता है? और क्या चाहिए किसी को?
मैंने पैंट के ऊपर से ही उसको सहलाना शुरु किया। अब उसने अपना हाथ मेरे गले में डाल दिया और मैंने अब आराम से सहलाते हुए कहा- कैसा लग रहा है?
"बहुत अच्छा !"
मैंने उसकी जिप खोल हाथ अन्दर डाल दिया और उस पर हाथ फेरते हुए जड़ तक उसका मुआयना किया- बहुत सॉलिड पीस है आपका !
बोला- अच्छा लगा?
मैंने कहा- बहुत अच्छा !
हम आगे बढ़ने लगे। तभी लुधिआना आ गया, बस रुकी, कंडक्टर ने सबको कहा- अगर किसी ने खाना वगैरा खाना है तो खा लो। बस 30 मिनट रुकेगी।
ज्यादा लोग नहीं थे बस में ! सभी यात्री उतर गए, न वो उठा न मैं !
सिर्फ उठा तो सबसे पिछली सीट पर जाने के लिए उठा, बोला- यह पैसे पकड़, नीचे से कोई कोल्ड ड्रिंक पकड़, साथ प्लास्टिक के ग्लास !
उसके पास विह्स्की का पव्वा था, उसने दो पैग डाले और दोनों ने डकार लिए। मैंने अब जी खोल उसके पप्पू को निकाला और देखता रह गया। सांवला लौड़ा मेरी कमजोरी है।
मैंने उसको सहलाते हुए चेहरा झुकाया और चूसने लगा। वो मस्त होने लगा।
तभी सीटी की आवाज़ सुन हम सीधे हो गए। बस चल पड़ी। सिर्फ दस के करीब सवारी बचीं थी। उनमें से चार तो कपल्स थे, सभी बैठ गए।
कंडक्टर आगे ड्राईवर के पास बैठ चुका था। उसका काम अब ख़त्म था।
सभी जोड़े एक दूसरे से चिपक रहे थे, हम आखिरी सीट पर थे, पूरी लम्बी की लम्बी सीट !
नशे के सरूर ने मुझे पागल कर दिया, मैं घुटनों के बल बैठ गया और लौड़ा निकाल कर चूसने लगा। सफ़र की वजह से मैंने सिर्फ लोअर पहना था, उसने नीचे खिसकाते मेरी गाण्ड पर हाथ फेरा तो मेरी प्यास बढ़ गई। उसने अपनी ऊँगली गीली करके गाण्ड में डाल दी। वो उंगलीबाज़ी करने लगा और मैं उसका लौड़ा चूसने लगा।
इतने में जालंधर आ गया।
वो बोला- तू मेरे साथ चल ! मुझे तेरी गाण्ड मारनी है।
"लेकिन कहाँ?"
वो बोला- यहीं पास ही मेरे दोस्त ने कमरा लिया हुआ है, वो दिल्ली से यहाँ पढ़ने आया है, अकेला रहता है।
"चलो चलते हैं !" मैंने कहा।
ह्मने रिक्शा किया और पहुँच गए। बाहर रुक कर उसने अपने दोस्त को मोबाइल किया और बताया।
अन्दर जाकर देखा, वो भी बहुत हैण्डसम था।
बोला- यह सनी है। बस में इसके साथ दोस्ती हुई और इसको खुश करना है।
"ओह ! समझ गया दोस्त !"
"दारू पड़ी है?"
बोला- है !
हमने दो दो पैग लगाये। नशा आते ही मैं बेशर्म बन गया और उसका एक एक कपड़ा उतार दिया और लौड़ा चूसने लगा। दूसरे वाले ने मेरा लोअर खींच दिया और मेरी गाण्ड सहलाने लगा।
पहले वाले ने खींच कर मेरी शर्ट उतार दी, मेरे लड़की जैसे मम्मे देख दोनों दंग रह गए।
वो सीधा लेट गया। मैं उसके लौड़े पर बैठा हुआ उसको पूरा अपनी गाण्ड की गहराई तक पहुँचा लिया और खुद आगे-पीछे होकर चुदने लगा। वह साथ में मेरा मम्मा मुँह में लेकर चूस रहा था। उसका दोस्त मेरे पास आया, मैंने उसका लौड़ा निकाल लिया। क्या सॉलिड था वो भी गुलाबी लौड़ा ! मुंह में पानी आ गया और मैंने झट से चूसना चालू किया। पहला वाला दनादन मेरी गाण्ड पर वार करने लगा।
मैं घोड़ी बन गया उनकी ओर अपनी गाण्ड घुमाई पहले वाले ने थूक लगा कर अपना फिर से अन्दर डाल दिया।
उसका दोस्त मेरे सामने घुटनों के बल खड़ा लौड़ा चुसवा रहा था। दो लौड़े देख मुझे सेक्स चढ़ने लगता।
बोले- साले, तू लड़की जैसा है, कितना नाज़ुक और चिकना है तेरा बदन ! ऊपर से यह मम्मे कोई सतरां साल की लड़की जितने होंगे !
"सालो, दबवा-चुसवा कर ऐसे हुए हैं ! चोदो बस मुझे अभी !"
'ले साले, दो लौड़े एक साथ डालेंगे !"
"फट जाएगी मेरी !"
"देखता जा बस !"
वो गया, फ्रिज में से खीरा लाया काफी मोटा ! उसने अपने दोस्त को दिया। पास में से बीयर की बोतल उठाई उसने लौड़ा निकाला और पहले बीयर की बोतल घुसाई और उसी से चोदने लगा।
मैं दोनों के लौड़े बारी बारी चूस रहा था।
उसने बोतल एक तरफ़ रख खीरा मेरी गाण्ड में घुसा दिया। काफी मोटा था, थोड़ा सा तेल लगा करीब 5 मिनट दोनों ने खीरे से मुझे चोदा। देखते ही देखते मैं पूरा खीरा अन्दर डलवाने लगा।
फ़िर एकदम खीरा निकाला, दोनों ने लुब्रिकेंट कंडोम डाल लिए और एक सीधा लेट गया और मैं उसके लौड़े पर बैठ गया। पूरा अंदर घुस गया। साथ में उसने अपनी दो उंगलियाँ भी डाल दी। पूरा घुसने पर उसने मुझे अपने साथ चिपका लिया अब पीछे से मेरी गाण्ड चौड़ी हो गई, दूसरा पीछे बैठ गया उंगली निकाल उसकी जगह लौड़ा रखते ही दबाया और उसका सुपारा घुस गया।
"छोड़ दो प्लीज़ !" मैंने कहा,"एक-एक करके लो !"
'मरोगे नहीं !"
और आधे से ज्यादा लौड़ा घुसा कर रगड़ने लगा। मेरा बुरा हाल था पर धीरे धीरे सकून मिला और वो धक्के लगाने लगे।
एक बार दोनों ने मुझे दो लौड़े डाल कर दिखा दिया फिर एक ने निकल लिया और दूसरे ने तेजी से गाण्ड मरते हुए अपना माल कंडोम में छोड़ दिया। दूसरा चढ़ा और उसने भी कुछ देर फाड़ने के बाद एकदम कंडोम उतार दिया और पेल दिया।
हम तीनों हांफने लगे, वे दोनों मेरे साथ चूमा-चाटी करते रहे और मैं उनके लौड़े सहलाता रहा जिससे आधे घंटे में दोनों के फ़िर से तन गए और फिर शुरु हुआ दूसरा दौर।
दो दो बार चोदने के बाद हम वहीं सो गए नंगे !
सुबह ग्यारह बजे आँख खुली ! मैं झट से उठा लेकिन उसके दोस्त ने मेरी बांह पकड़ कर रोक लिया, बोला- कितनी गर्मी है बाहर ! कल सुबह सुबह निकल जाना ! एक रात रुक ! रात को तुझे और मजे दिलवाऊँगा अपने दो दोस्तों के साथ !
मुझे ग्रुप सेक्स का शौक है।
वो बोले- पास में दो और गाण्डू रहते हैं, साथ-साथ करेंगे।
मैं मान गया और फिर हम तीनों नहाने लगे। बाथरूम में फिर ठुकाई हुई मेरी !

Manjri bhabhi ke saath मंजरी भाभी

मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ, 30 साल, 5'10", औसत शरीर वाला समार्ट लडका हूँ। यह कहानी आज से 9 साल पहले की है, तब मेरी उमर करीब 21 साल की थी, तब मैं थोड़ा पतला था।
मैं कुछ नहीं करता था क्योंकि मैं डिप्लोमा की परीक्षा में फ़ेल हो गया था और परीक्षा को अभी बहुत समय था तो पिताजी ने मुझे अपने एक दोस्त के यहाँ नौकरी पर लगा दिया। वहाँ पर लगभग हर रोज ही एक महिला आती थी। उनका नाम मंजरी (नाम बदला हुआ) था। जब भी वो आती अंकल मुझे खाना खाने के या कुछ भी बहाना करके वहाँ से भेज देते। वैसे तो उनका भतीजा भी मेरे साथ वहीं पर काम करता था और मेरी और उसकी अच्छी पटती थी, तो एक दिन मैंने उससे पूछ ही लीया। तब मुझे पता चला कि मंजरी का पति उनको मारता था, शराबी और जुआरी भी था तो वो अंकल से मदद लेने आती थी। और उसने मुझे यह भी बताया कि उसने उसके साथ मजे भी किये हैं। तो मैंने पिताजी के दोस्त के भतीजे को मेरे लिए कुछ करने के लिए कहा। उसने शायद मेरे लिए बात भी की मगर शायद वो कुछ डर रही थी इसलिए मना कर दिया।
अरे हाँ ! मंजरी भाभी के चूचे बड़े नहीं पर हाँ कसे हुए थे। जब भी मैं उन्हें देखता था मेरा लण्ड तो मेरे अन्डरवीयर से निकल कर मेरी नाभि तक आ जाता था। उनका कद करीब 5' 2", कमर पतली और एकदम सफ़ेद जैसे दूध से धुली हो। मेरे मन में बस उन्हें पाने की इच्छा जाग गई थी।
तो आखिर वो दिन आ ही गया। अन्कल किसी काम से बाहर गये हुए थे, और वो आ गई, मुझ से कुछ सामान लेकर बात करनी शुरु की, मैं तो बस उनके चेहरे को ही सामने से देखता रहा, जैसे ही उनको पता चला, वो कुछ शरमाने लगी और हंस कर बोली- मेरे चेहरे पे मोर लगे हैं क्या?
मुझे लगा अगर हंसी तो फ़ंसी।
और अचानक ही मैंने उनसे अपने मन की बात कह दी। पहले तो वो कुछ बोली नहीं, पर कुछ देर बाद मुझसे वादा लेते हुए कि किसी और से यह बात नहीं कहने का मुझे अपना फ़ोन नंबर देकर हंसते हुए चली गई।
दो दिन बाद जब मैंने उनके नम्बर पर फ़ोन किया, तो फोन पर वही थी, हमने थोड़ी देर इधर उधर की बात की, फिर बात करते हुए मुझे लगा कि उनके घर पर कोई नहीं है, तो मैंने उनको मिलने की इच्छा जताई। थोड़ी ना-नुकर के बाद वो 10 मिनट के लिए मान गई।
उतने में अन्कल आ गये और मैं उनसे बहाना करके तुरन्त मंजरी घर पहुँच गया।
उन्होंने मुझे घर के अन्दर बुलाया के और मेरे सामने कुर्सी रखकर मुझसे बातें करने लगी। मेरा ध्यान तो बस उनके बदन पर ही था। मुझे लगा आज मौका नहीं मिलेगा क्योंकि घर के सामने के मैदान में सोसायटी के बच्चे खेल रहे थे। तो मैंने भी उनसे पानी का बहाना किया।
जैसे ही वो पानी लेने के लिए रसोई में गई, मैं उठकर अन्दर के कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ गया। उन्होंने मुझे देख लिया था तो वो भी पानी लेकर अन्दर कमरे में आ गई। मैंने भी पानी पीकर ग्लास उन्हें दिया, जैसे ही उन्होंने ग्लास लेने के लिये हाथ आगे किया मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाकर उन्हें चूमना शुरु कर दिया।
तभी वो अपने को छुड़ा कर एकदम उठी, पर तब तक वो गर्म हो चुकी थी, क्योंकि उनकी आँखें सब बता रही थी। अचानक वो बाहर चली गई और मुझे लगा आज भी मुझे खाली हाथ जाना पड़ेगा। पर उतने में वो घर के सारे दरवाजे बन्द करके मेरे पास आकर बैठ गई और मेरा हाथ पकड़ लिया।
बस फिर क्या था मैंने भी उनको पकड़ कर होंठों पर चुम्बन करना चालू कर दिया, फिर उन्हें बिस्तर पर लिटाकर जबरदस्त चूमा-चाटी शुरु कर दी। धीरे-धीरे मैंने उनके मम्मे दबाने शुरु कर दिये, अब वो भी मेरी जीभ चूस रही थी और मैं उनकी। फिर मैंने उनके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए, उन्होंने नीचे काली ब्रा पहन रखी थी, मैंने ब्रा का हूक खोलकर उनके दूध को चूसने का कार्यक्रम शुरू किया।
धीरे-धीरे मैंने उनकी साड़ी को पेटीकोट के साथ जैसे ही ऊँचा किया, तो मैंने देखा कि उन्होंने पेन्टी तो पहनी ही नहीं थी। मैंने हल्के से एक उंगली उनकी चूत में जैसे ही डाली, वो एकदम से सिहर गई, धीरे-धीरे मैंने दूसरी, फिर तीसरी उंगली डाली। उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझे अपने होंठों के पास लाकर मेरे होंठों को कस कर चूसने लगी।
तुरंत ही मेरी उंगली में कुछ गीलापन महसूस हुआ। तब मुझे लगा कि शायद उन्हें पेशाब आ गई क्योंकि वह मेरा पहला अनुभव था, मुझे तो बाद में पता लगा कि औरतें भी झड़ती हैं।
फिर उन्होंने मेरी पैंट में हाथ डाला और मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाने लगी, मुझे तो अब और भी मज़ा आने लगा। फिर उन्होंने मुझे पैंट निकालने को कहा। तो मैं पूरे कपड़े निकालने ही जा रहा था कि उन्होंने मुझे रोका और कहा- आज इतना वक्त नहीं है, तुम सिर्फ़ पैंट को नीचे कर लो।
जैसे ही मैंने पैंट को नीचे किया और उन्होंने मेरे लण्ड को जैसे ही देखा, वो तो बस मेरे लण्ड को एक बारगी तकती ही रह गई, और फिर अचानक फटाक से मेर लण्ड पकड़ कर मुँह में ले लिया और मेरी गोलियों से मजे से खेलने लगी, कभी कभी उनको भी मुँह में भर कर चूसने और चाटने लगती।
चूंकि मेरा यह पहला अनुभव था मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था, मुझे तो इतना मज़ा आ रहा थी कि बस पूछो मत। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं भी अब जोश में आने लगा था, मैं उनका सिर पकड़कर आगे-पीछे करने लगा, एक बार तो उनका सर पकड़ कर लण्ड पर ही पूरा दबा दिया। पर जैसे ही मैंने उनको देखा, उनकी आँखों से पानी निकलने लगा, तो मैंने अपनी पकड़ ढीली कर दी और उन्हें ऊपर लाकर उनके होंठों पे, गालों पे, कान के नीचे चेहरे पे हर जगह चूमना चालू कर दिया।
उन्होंने मुझे मेरे कान में कहा- आज तक मैंने किसी का मुँह में नहीं लिया, पर पता नहीं तुम्हारे उस में क्या खास बात थी जो मैंने उसे मुंह में भर लिया, सच में तुम्हारा बहुत मस्त है।
वो अभी भी शायद कुछ शरमा रही थी, इसीलिये लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर रही थी।
इतना बोल कर वो तो जैसे पागल होने लगी थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत पर जोर जोर से रगड़ने लगी। अब मेरा भी अपने पर काबू करना मुश्किल हो रहा था, तो मैंने उन्हें धक्का मार कर बिस्तर पर लिटा दिया और लण्ड को चूत पर रख कर धक्का मारना शुरु किया, पर मेरा लण्ड फिसल कर इधर उधर जाने लगा तो उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर चूत के छेद पर टिका कर मेरे नितम्ब पकड़कर उन्होंने ही धक्का मार कर लण्ड चूत में ले लिया।
फिर तो मैंने आव देखा ना ताव और एक जोरदार धक्का मारकर पूरा लण्ड जड़ तक अन्दर डाल दिया। मेरे होंठ उनके होंठों पर ही थे इसलिये मुझे लगा कि वो जैसे चिल्ला रही हैं, पर होंठों के चिपके होने के कारण चीख दब गई।
तब मेरा ध्यान उनकी आँखों पर गया तो मैंने देखा कि वो रो रही है, तो मैंने भी थोड़ी देर उनके ऊपर पड़े रहना ही उचित समझा और धीरे-धीरे उनके मम्मों को चूसता और दबाता उनकी छाती पर लेटा रहा।
वो धीरे-धीरे सामन्य हो रही थी और धीरे-धीरे अपने चूतड़ उठा कर धक्के देने लगी। फिर मैंने भी अपने धक्के चालू कर दिए। करीब 10-12 मिनट के बाद उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और जोर से मेरी जीभ को चूसने लगी। मेरा तो अब साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। तभी अचानक मुझे मेरे लण्ड पर कुछ पानी जैसा महसूस हुआ, मैं भी अब जोश में धक्के पर धक्के लगा रहा था, पर करीब 20-25 धक्कों के बाद मेरे लण्ड में भी हरकत शुरु हुई और मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और उनकी जीभ चूसने लगा और फिर मैंने भी अपना सारा लावा उनकी चूत में उडेल दिया, और पस्त होकर उनके नंगे बदन पर लेट गया।
कुछ देर तक हम यों ही पड़े रहे, फिर जैसे ही मैं कपड़े पहनकर जाने लगा, उन्होंने मुझे रोक कर एक लम्बी चुम्मी मेरे होंठों पर दी और मुस्कराते हुए बोली- अब जब भी मन करे, मुझे फोन कर देना, तुम जहाँ बुलाओगे, मैं आ जाऊँगी, मैं आज से तुम्हारी हुई, आज मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन है।
और मैंने भी उनको चूमते हुए उनसे विदाई ली।